जानिए हथेली के ग्रह पर्वत से कैसे पहचाने कौनसा ग्रह सही है?

जानिए हथेली के ग्रह पर्वत से कैसे पहचाने कौनसा ग्रह सही है?
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जैसा की हम जानते है कि उँगलियों के नीचे ग्रह पर्वत होते है। इन ग्रहों की स्थिति को जानकार आप यह अनुमान लगा सकते है कि आपका कौनसा ग्रह कमजोर है और कौनसा ग्रह बलवान है। अगर आप इनके अनुसार ही कोई उपाय करेंगे तो आपके लिए बेहतर होगा।

अगर हम एक हाथ की बात करे तो एक हाथ में चार अंगुलियां होती है और एक अंगूठा होता है। हमारी अंगुलियों में तीन पोरे  होते है और हमारे अंगूठे में दो पोरे होते है। हमारी हथेली में बहुत सारी रेखाएं होती है। हमारे हाथ की पहली तर्जनी अंगुली गुरु की अंगुली होती है। दूसरी अंगुली मध्यमा शनि की अंगुली होती है। तीसरी अंगुली अनामिका अंगुली सूर्य की अंगुली होती है और सबसे छोटी और चौथी अंगुली बुध की अंगुली होती है।

  • जो तर्जनी अंगुली के नीचे का हिस्सा होता है उसे गुरु पर्वत कहते है। यह पर्वत उभरा हुआ और स्पष्ट होता है तो गुरु को अच्छा माना जाता है।
  • गुरु पर्वत की तरह ही मध्यमा के नीचे शनि पर्वत होता है। अगर शनि पर्वत भी उभरा हुआ और स्पष्ट होता है तो शनि अच्छा माना जाता है।
  • हमारी अनामिका अंगुली के नीचे सूर्य पर्वत होता है। अगर यह भी उभरा हुआ और स्पष्ट होता है तो सूर्य अच्छा माना जाता है।
  • सबसे छोटी अंगुली होती है कनिष्ठा अंगुली, उसके नीचे बुध पर्वत होता है। अगर बुध पर्वत भी उभरा हुआ और स्पष्ट होता है तो शनि अच्छा माना जाता है।
  • बुध पर्वत के नीचे उर्ध्व मंगल का पर्वत होता है। अगर उर्ध्व मंगल का पर्वत भी उभरा हुआ और स्पष्ट है तो मंगल अच्छा माना जाता है।
  • सूर्य एवं शनि पर्वत के नीचे माध्यम मंगल पर्वत होता है। अगर यह पर्वत भी उभरा और स्पष्ट है तो मंगल को अच्छा माना जाता है।
  • गुरु पर्वत के नीचे निम्न मंगल होता है। अगर यह भी उभरा हुआ और स्पष्ट है तो ऐसा माना जाता है कि नीच का मंगल बलवान है।
  • पूरा यानी कि संपूर्ण अंगूठा ही शुक्र का माना जाता है। अगर यह उभरा हुआ और स्पष्ट है तो शुक्र ग्रह को अच्छा माना जाता है।
  • अंगूठे के नीचे शुक्र का स्थान है और उसके सामने हथेली के दूसरी ओर चंद्र का स्थान है। अगर यह भी ठीक स्थिति में है तो शुभ माना जाता है।
  • अगर किसी जातक की हथेली के बीचोबीच में राहु और मणिबद्ध यानी कि कलाई में केतु का स्थान होता है। लेकिन विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कलाई में राहु और केतु दोनों ही होते है। जो जीवनरेखा होती है उसकी समाप्ति स्थान कलाई के ऊपर बना हुआ राहु पर्वत होता है।
  • किसी जातक के बृहस्पति पर्वत पर चक्र होना बहुत धनवान होने का संकेत होता है। शनि पर्वत के ऊपर किसी चक्र का होना अचानक धनलाभ प्रदान करता है। सूर्य पर्वत का चक्र होना व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा दिलाता है। यदि बुध पर्वत पर चक्र होता है तो सफल व्यापारी और व्यापारी और वक्त बनाता है। चंद्र, मंगल और शुक्र पर्वत पर चक्र होना अशुभ माना जाता है।
  • ध्यान देने योग्य यह बात है कि हथेली के पर्वतों का कटा फटा या गड्डे में धंसा होना इस बात का संकेत देता है कि वह ग्रह बलवान नहीं है। कोई भी रेखा यदि पर्वतों को क्रोस करती है तो उसके कुछ अलग मायने होते है

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