कब होगा गुरु पुष्य नक्षत्र में क्या है? इससे जुडी हुई ख़ास बाते
इस साल 2021 में प्रथम गुरुपुष्य शुभ योग 28 जनवरी 2021 गुरूवार को है। ज्योतिष शास्त्रों में 27 नक्षत्रों का उल्लेख है। हर नक्षत्र में मान 13'20 होता है। हर नक्षत्र में चार चरण होते है। हर चरण को 60 भागों में बांटा गया है। और हर चरण के अपने वर्णाक्षर होते है। एस्ट्रोलॉजी कंसल्टेंसी जिस नक्षत्र में जातक का जन्म होता है उस नक्षत्र के गुण दोष जातक में देखे जाते है। नक्षत्र के स्वामी के अनुसार जातक का स्वभाव एवं व्यक्तित्व होता है।
क्यों माना जाता है पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा?
हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि सभी 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को राजा माना गया है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी न्यायाधिपति शनि है। जैसा कि हम जानते है कि पुष्य नक्षत्र बहुत शुभ होता है।ऐसा माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में प्रारंभ अथवा संपन्न किए गए कार्य सफल एवं उन्नतिदायक होते है। जो बच्चे पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने जातक धार्मिक, विद्वान, शांत, प्रसन्नचित्त, स्वस्थ, भाग्यवान एवं पुण्यात्मा होता है। भगवान प्रभु श्रीराम का जन्म भी पुष्य नक्षत्र में ही हुआ था।
'गुरुपुष्य' व 'रविपुष्य' की क्या महत्वता है?
जैसा कि हम जानते है कि पुष्य अत्यंत शुभ नक्षत्र है। लेकिन यह रविवार एवं गुरूवार के दिन होता है। लेकिन यह एक विशेष योग का निर्माण करता है जिसे गुरु पुष्य एवं रविपुष्य शुभ संयोग कहते है। यह दोनों संयोग बहुत शुभ और दुर्लभ माने जाते है। कई बार ऐसा होता है कि पूरे वर्ष में केवल 1 या 2 'गुरुपुष्य' व 'रविपुष्य' संयोग आते हैं। 'गुरुपुष्य' व 'रविपुष्य' शुभ संयोग में तंत्र सिद्धि, मंत्र सिद्धि, नवीन व्यापार का प्रारंभ, गृहप्रवेश, चल-अचल संपत्ति, स्वर्ण क्रय करना एवं वाहनादि खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
यह भी पढ़िए
Comments (0)