आत्मा पुनर्जन्म क्यों लेती है, क्या आप इसका रहस्य जानते है?
इस बात से सब वाकिफ है कि हिन्दू धर्म में पुर्वजन्म को एक सत्य माना गया है। कौन-सी आत्मा कैसे जन्म लेती है इसके बारे में भी स्पष्ट किया गया है। कौन-सी आत्मा भटकती है और फिर कब जन्म लेती है इसके बारे में भी खुलासा किया गया है। यह भी कि कौन-सी आत्मा कुछ काल तक पितृलोक, स्वर्गलोक, नरक लोग आदि लोकों में रहकर पुन: कब धरती पर लौटेगी। शास्त्र कहते हैं कि प्रमुख रूप से इन आठ कारणों से आत्मा पुन: जन्म लेती है।
आत्मा के पुनर्जन्म लेने के कारण:
भगवान की आज्ञा से : भगवान किसी विशेष कार्य के लिए महात्माओं और दिव्य पुरुषों की आत्माओं को पुन: जन्म लेने की आज्ञा देते हैं।
पुण्य समाप्त हो जाने पर : संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है, वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना होता है।
पुण्य फल भोगने के लिए : कभी-कभी किसी व्यक्ति द्वारा अत्यधिक पुण्य कर्म किए जाते हैं और उसकी मृत्यु हो जाती है, तब उन पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है।
पाप का फल भोगने के लिए।
बदला लेने के लिए : आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुनर्जन्म लेती है। यदि किसी व्यक्ति को धोखे से, कपट से या अन्य किसी प्रकार की यातना देकर मार दिया जाता है तो वह आत्मा पुनर्जन्म अवश्य लेती है।
बदला चुकाने के लिए।
अकाल मृत्यु हो जाने पर।
अपूर्ण साधना को पूर्ण करने के लिए।
यह भी पढ़िए
Comments (0)