परशुराम कौन थे? शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता की जयंती पर करे इन मंत्रों का जाप
भगवान विष्णु के छठे आवेश अवतार परशुराम की जयंती वैशाख शुक्ल तृतीया को आती है। इस बार यह जयंती परशुराम के गुरु : परशुराम को शास्त्रों की शिक्षा दादा ऋचीक, पिता जमदग्नि तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा अपने पिता के मामा राजर्षि विश्वमित्र और भगवान शंकर से प्राप्त हुई। च्यवन ने राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या से विवाह किया। परशुराम योग, वेद और नीति में पारंगत थे। ब्रह्मास्त्र समेत विभिन्न दिव्यास्त्रों के संचालन में भी वे पारंगत थे। उन्होंने महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की।
आप सिद्धि और कामना पूरी करने के लिए इन मंत्रों का जाप करे और परशुराम जी की कृपा पाए। भगवान परशुराम श्रीहरि विष्णु के दशावतार में छठे अवतार माने जाते हैं। शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता सिर्फ और सिर्फ भगवान परशुराम ही माने जाते हैं। क्रोध और दानशीलता में भगवान परशुराम का कोई सानी नहीं है। वे परम शिवभक्त थे। भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया जिससे वे परशुराम कहलाए।
मंत्र -
1. 'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।'
2. 'ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।'
3. 'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'
इन मन्त्रों का जाप करने से भगवान परशुराम का आशीर्वाद मिलता है और हर प्रकार की समस्या दूर होती है।
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