हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है? जानिए शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है? जानिए शुभ मुहूर्त
Hartalika Teej 2020

ऐसे बहुत से कम लोग जानते है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 21 अगस्त 2020 को है। इसके अगले दिन 22 अगस्त को श्रीगणेश जी की स्थापना होगी। ऐसा माना जाता है कि हरतालिका तीज व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विवाह योग्य युवतियों को मनचाहा वर मिलता है। आज के लेख में हम आपको बताएगे हरतालिका तीज से जुडी ख़ास बाते। 

शुभ मुहूर्त:

हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 8:30 मिनट तक।

शाम को हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक।

तृतीया तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त की रात रात 2 बजकर 13 मिनट से।

तृतीया तिथि समाप्त- 22 अगस्त रात 11 बजकर 2 मिनट तक।

हरतालिका तीज से जुडी ख़ास बाते:

  • जब हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।

  • हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
  • हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
  • हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।
  • हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
  • हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
  • हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
  • पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
  • सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है।
  • इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
  • इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।

यह भी पढ़िए

क्या आपको भी धन चाहिए तो अपनाइए यह अच्छी आदतें

गणेश चतुर्थी पर चाँद देखने से झूठ का आरोप क्यों लगता है?

क्या आप जानते है पौराणिक काल के गदाधर कौन थे?

क्या है भगवान शिव की भस्म आरती के अनकहे राज?

क्या आप जानते है गणेश चतुर्थी पर शंख उपयोग में लेने के फायदे?

Like and Share our Facebook Page.