रविवार को तुलसी तोड़ने से पहले जान लीजिये ये गंभीर संकट

रविवार को तुलसी तोड़ने से पहले जान लीजिये ये गंभीर संकट

हिन्दू धर्म में हर चीज़ की  कुछ ना कुछ मान्यता होती है।  इसी तरह से हिन्दू धर्म में सप्ताह के सातों दिन का बहतु ज्यादा महत्व माना जाता है। ऐसा कई बार देखा जाता है कि कुछ लोग सप्ताह के सातों दिन अलग अलग कपडे पहनते है वार के हिसाब से। कही देखा जाता है कि कुछ लोग पुरे हफ्ते अलग अलग तरीकों सी पाठ पूजा करते है। यह सभी काम आस्था और मन की शान्ति के लिए किया जाता है।
जिस तरह से हर एक दिन की अपनी अहमियत है उसी तरह से रविवार की भी अपनी ही बहुत सी विशेषताए है। शास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि रविवार के दिन तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।  अगर कोई व्यक्ति रविवार के दिन तुलसी तोड़ता है तो इसके बहुत बुरे परिणाम होते है। आज के लेख में हम आपको बतायेगे कि इसके पीछे क्या कारण है।
रविवार के दिन तुलसी ना तोड़ने की क्या मान्यता है?
ऐसी मान्यता है कि रविवार का दिन भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है।  तुलसी विष्णुप्रिय मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि रविवार के दिन माता तुलसी भगवान विष्णु की तपस्या करती रहती है। भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहती है। तुलसी माता की तपस्या में किसी तरह का व्यवधान न पड़े इसलिए रविवार के दिन तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए औरर ना ही तुलसी को जल चढ़ाना चाहिये। तपस्या भंग होने पर देवी तुलसी रुष्ट हो जाती हैं और फिर इसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है।
अन्य दिन भी इन बातों का रखें ध्यान:
तुलसी तोड़ने के लिए रविवार के अलावा मंगलवार और शनिवार भी अशुभ माना जाता है। इसी कारण की वजह से मंगलवार और शनिवार को भी तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। इसी के साथ एकादशी के दिन जब तुलसी विवाह संपन्न होता है उस दिन भी तुलसी की पत्तिया नहीं तोड़नी चाहिए। एकादशी तुलसी का प्रिय दिन माना जाता है।
कब कब नहीं तोड़नी चाहिए तुलसी की पत्तियां?
तुलसी की पत्तियों को द्वादशी, सक्रांति, सूर्य ग्रहण तथा सूर्यास्त होने पर नहीं तोड़नी चाहिए। यदि पत्तों का कोई उपयोग न हो तो तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए। तुलसी के पत्तों को बिना स्नान किये नहीं तोड़ना चाहिए। अगर आपने बिना स्नान किए तुलसी के पत्तों को तोड़ा है तो उसे भगवान को नहीं चढ़ाना चाहिए।