चातुर्मास क्या होता है इसमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

चातुर्मास क्या होता है इसमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
Chaaturmaas 2020

ऐसे बहुत से लोग है जो कि नहीं जानते है कि चातुर्मास होता क्या है। चातुर्मास चार महीने की अवधि होती है। यह अवधि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। चातुर्मास के प्रारंभ को देवशयनी एकादशी कहा जाता है और अंत को देवोत्थान एकादशी। उक्त चार महीने श्रावण, भाद्रपद, आश्‍विन और कार्तिक है।

जानिए क्यों करते है व्रत?

ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं। उक्त 4 माह को व्रतों का माह इसलिए कहा गया है कि उक्त 4 माह में जहां हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ती है वहीं भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। उक्त 4 माह में से प्रथम माह तो सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।

इसके ख़ास नियम क्या है?

इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। वैसे साधुओं के नियम कड़े होते हैं। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए। एक समय ही उत्तम भोजन ग्रहण करना चाहिए।

वर्जित कार्य क्या है?

उक्त 4 माह में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं। पलंग पर सोना, पत्नी का संग करना, झूठ बोलना भी वर्जित है।

त्याज्य पदार्थ : इस व्रत में तेल से बनी चीजों का सेवन न करें, दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल, आदि का त्याग कर दिया जाता है।

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