मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के सेवन करने का क्या महत्व है

मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के सेवन करने का क्या महत्व है
Importance of Consuming Jaggery and Sessame on Makar Sakranti

कोई भी त्योहार क्यों ना हो भारत में हर त्योहार पर विशेष पकवान बनाने  और खाने की परम्पराए है। ऐसे में मकर संक्रांति के दिन तिल एवं गुड़ के पकवान बनाने और खाने की परंपरा है। किसी किसी जगह तिल एवं गुड़ के स्वादिष्ट लड्डू बनाए जाते है तो कही चक्की बनाकर तिल एवं गुड़ का सेवन किया जाता है। तिल एवं गुड़ की गजक भी  लोगो को खूब पसंद आती है। लेकिन क्या आपको पता है कि मकर सक्रांति के पर्व पर तिल एवं गुड़ का ही सेवन क्यों किया जाता है। लेकिन आपको बता दे कि इसके  पीछे भी एक वैज्ञानिक आधार है।

मकर सक्रांति के पर्व पर तिल एवं गुड़ का ही सेवन क्यों किया जाता है?

सर्दी का मौसम ऐसा होता है जिसमे शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है। उस समय तिल और गुड़ के व्यंजन बहुत ही  अच्छे से काम करते है क्योकि तिल में तेल की प्रचुरता रहती है जिसके सेवन करने से हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में तेल पहुँचता है और जो हमारे शरीर को गर्माहट देता है।

इसी प्रकार कहा जाता है कि गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। सर्दी के मौसम में जब तिल और गुड़ को मिलाने के बाद में जो व्यंजन बनाए जाते है वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते है। इसी कारण की  वजह से मकर संक्रांति के अवसर पर तिल एवं गुड के व्यंजन प्रमुखता से खाए जाते है।

लोहड़ी का त्योहार मकर सक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। जब सूरज ढलने लगता है तब घरों के बाहर बड़े बड़े अलाव जलाए जाते है और स्त्री एवं पुरुष सज धजकर नए नए वस्त्र पहनकर एकत्रित होकर उस जलते हुए अलाव के इर्द गिर्द घूमते हुए भांगड़ा नृत्य करते है और अग्नि को मेवा, तिल, गजक, चिवड़ा आदि चीजों की आहुति भी देते है। लोहड़ी के प्रसाद में मुख्य पांच वस्तुए होती है जिसमे शामिल होता है तिल, गुड़, मूंगफली, मक्का और गजक।

देर रात तक सभी लोग नगाड़ों की ध्‍वनि के बीच एक लड़ी के रूप में यह नृत्‍य करते हैं। उसके बाद सभी एक-दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हुए आपस में भेंट बांटते हैं और प्रसाद वितरण भी करते हैं।

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