प्रभु श्रीराम से सिखने चाहिए मैनेजमेंट के यह गुण

प्रभु श्रीराम से सिखने चाहिए मैनेजमेंट के यह गुण
management should be learned from Prabhu Shriram

अगर आपका जीवन योजनाओं से युक्त नहीं है तो उसको निष्फल होगा या फिर हम यह कहे कि वह रेंडमली होगा। शास्त्रों के हिसाब से ऐसा माना जाता है कि सभी को मैनेज किया जा सकता है लेकिन ग्रहों की चाल और मनुष्य के मन को मैनेज करना दुष्कर कार्य है।

ज़िन्दगी में हमेशा सुख, दुःख, सफलता और असफलता का उतना ही महत्व है जितना कि महत्व उस कार्य को करने का है। जिसके करने से दूरगामी परिणाम निकलते हैं और जो हमारे भविष्य को सुंदर और सुरक्षित करता हो। तो जैसा कि हम जानते है कि प्रभु श्रीराम ने वही किया जो धर्मसम्मत और दूरगामी था।

1. खुद को हमेशा बनाए आइडियल

प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन को इस तरह मैनेज किया कि आज भी उनके कार्य, व्यक्तित्व और शासन को याद किया जाता है। प्रभु श्रीराम के पास अनंत शक्तियां थीं लेकिन उन्होंने उसका कभी भी दुरुपयोग नहीं किया जैसा की रावण ने किया।

2. सबको दो नेतृत्व का मौका

प्रभु श्रीराम अपने साथ दो लोगों की टीम लेकर चले थे। पहली उनकी पत्नी और दूसरा उनका भाई। तीनों ने मिलकर टीम वर्क किया, लेकिन नेतृत्व श्री राम के हाथ में ही दे रखा था। लेकिन प्रभु श्रीराम ने अपने साथ के सभी लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई ऐसे मौके आए जबकि नेतृत्व उन्होंने दूसरों के हाथ में दिया।

3. संपूर्ण जीवन हो योजनाओं भरा

प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन का हर कार्य एक बेहतर योजना के साथ संपन्न किया। उन्होंने पहले ऋषि मुनियों को भयमुक्त कर उनका समर्थन हासिल किया, सुग्रीव को राजा बनाया।

4. समानता

अपने टीम के लोगों के एक समान ही समझना और सभी को समान रूप से प्रोत्साहन और सम्मान देना ही टीम को बिखरने से रोकता है।

5. योग्यता को समझने की क्षमता

इस बात से प्रभु श्रीराम भलीभांति जानते थे कि किस व्यक्ति से कब और कौनसा काम किस तरह कराना है। उन्होंने हनुमान को दूत बनाकर भेजा और उसके बाद अंगद को दूत बानाकर भेजा।

6. विशाल सेना का गठन

जब प्रभु श्री राम की पत्नी सीता का रावण हरण करके ले गया तब श्रीराम के समक्ष सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया था। वह वन-वन सीता को खोजने के लिए भटके और उन्होंने अपनी बुद्धि और कौशल से आखिर यह पता लगा ही लिया की सीता कहां है।

7. समस्याओं में समाधान ढूंढना

प्रभु श्रीराम के समक्ष कई बार ऐसा मुश्किल हालत पैदा हुए जबकि संपूर्ण टीम में निराशा के भाव फैल गए थे लेकिन उन्होंने धैर्य से काम लेकर समस्याओं के समाधान को ढूंढा और फिर उस पर कार्य करना प्रारंभ किया।

यह भी पढ़िए 

मनचाहा प्यार पाने के लिए कौन से देवता की करे पूजा

जानिए आखिर क्यों गंगा का पानी कभी अशुद्ध नहीं होता?

हवन करते समय ‘स्वाहा’ ही क्यों बोला जाता है?

Like and Share our Facebook Page.