कब है फुलेरा दूज? कैसे मनाते है यह त्योहार
भारत में कई क्षेत्रों में फुलेरा दूज का त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। उत्साह और जोश से भरा हुआ पर्व है यह। फुलेरा दूज को एक शुभ पर्व माना जाता है।
फुलेरा दूज का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। शाब्दिक अर्थ में फुलेरा का मतलब होता है फूल और फूलों की अधिकता को दर्शाता है। पौराणिक समय से ऐसी मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण फूलों के साथ में खेलते है और फुलेरा दूज की शुभ पूर्व संध्या पर होली के त्योहार में भाग लेते है। इस त्योहार से लोगों के जीवन में खुशियां और उल्लास आता है। वृंदावन और मथुरा के कुछ मंदिरों में भक्तों को भगवान कृष्ण के विशेष दर्शन का भी मौका मिल सकता है।
ऐसा माना जाता है कि जहा वह हर साल फुलेरा दूज के एक उचित समय पर होली उत्सव में भाग लेने वाले होते है। फुलेरा दूज के दिन कई अनुष्ठानो और समारोहों का आयोजन किया जाता है और इसी के साथ में देवता भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को होली के आगामी उत्सव पर दर्शाने के लिए रंगों से सराबोर किया जाता है।
कब है फुलेरा दूज?
फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष के दौरान दूसरे दिन पर मनाया जाता है। हर वर्ष फुलेरा दूज का त्योहार दो बड़े ही प्रमुख त्योहारों के बीच में आता है, बसंत पंचमी और होली। इस साल फुलेरा दूज 25 फरवरी 2020 को है।
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फुलेरा दूज कैसे मनाते हैं?
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फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त उनकी पूजा आराधना करते है। भारत में कई जगह बहुत उत्सव होते है। भक्त घरों एवं मंदिरों में दोनों जगह देवताओं की मूर्तियों या प्रतिमाओं को सुशोभित करते है और सजाते है।
- इस दिन सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान जो किया जाता है वह है भगवान श्रीकृष्ण के साथ में रंग बिरंगे फूलों की होली खेलना।
- मंदिरों को फूलों और रौशनी से सजाया जाता है और भगवान कृष्ण की मूर्ती को एक सजाए गए रंगीन मंडप में रखा जाता है।
- एक रंगीन कपडे का छोटा सा टुकड़ा भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ती की कमर पर लगाया जाता है इसका यह मतलब होता है कि वह होली खेलने को तैयार है।
- शयन भोग की रसम पूरी करने के बाद, रंगीन कपडे को हटा देना चाहिए।
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फुलेरा दूज का क्या महत्व है?
फुलेरा दूज को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। क्योकि यह दिन किसी भी तरह के हानिकारक प्रभावों और दोषों से प्रभावित नहीं होता है। फुलेरा दूज पर अबूझ मुहूर्त भी होते है।
इसका यह मतलब है कि विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है।
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