जानिए विष्णु पुराण से जुडी 5 ख़ास बातें
हिन्दू धर्म ग्रंथ में वेद ही है। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। अन्य ग्रंथ इतिहास, परम्परा और कर्मकांड के ग्रंथ है। पुराण का अर्थ होता है कि सबसे पुरातन और सबसे प्राचीन है। इतिहास ग्रंथों में वाल्मीकि रामायण, वेद्वास कृत महाभारत और पुराण आते हैं। इन्हीं 18 पुराणों में से एक है विष्णु पुराण। आज के लेख में हम आपको इसके बारे में संक्षिप्त जानकारी।
- विष्णु पुराण अन्य पुराणों की अपेक्ष यह छोटा है। इसमें अब मात्र सात हजार श्लोक ही पाए जाते हैं।
- इस पुराण की रचना महर्षि वसिष्ठ के पौत्र और वेदव्यास के पिता पराशर ऋषि ने की है।
- इस पुराण में भगवान विष्णु और उनके भक्तों के बारे में वर्णन मिलता है जिसमें बहुत ही रोचक कथाएं हैं।
- इस पुराण में विष्णु के अवतारों का वर्णन मिलेगा जिसमें श्री कृष्ण चरित्र और राम कथा का विशेष उल्लेख है।
- विष्णु पुराण के अंदर छह अध्याय है। पहले अध्याय में सृष्टि की उत्पत्ति और काल के स्वरूप के साथ ही ध्रुव, पृथु तथा प्रह्लाद की रोचक कथाएं हैं। दूसरे अध्याय में सभी लोकों का स्वरूप वर्णन और पृथ्वी के नौ खंडों के साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का वर्णन मिलेगा। सभी लोकों का स्वरूप वर्णन और पृथ्वी के नौ खंडों के साथ ही ग्रह-नक्षत्रों का वर्णन मिलेगा।
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