क्या आपकी कुंडली में भी है संघर्ष योग, जानिए?
हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य एवं चंद्र की विशेष दूरियों की जो स्थिति होती है उन्हें योग कहते है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार योग 27 प्रकार के होते है। जो योग दूरियों के आधार पर बनते है वह 27 योग होते है। उनके नाम कुछ इस प्रकार है। 1.विष्कुम्भ, 2.प्रीति, 3.आयुष्मान, 4.सौभाग्य, 5.शोभन, 6.अतिगण्ड, 7.सुकर्मा, 8.धृति, 9.शूल, 10.गण्ड, 11.वृद्धि, 12.ध्रुव, 13.व्याघात, 14.हर्षण, 15.वज्र, 16.सिद्धि, 17.व्यतिपात, 18.वरीयान, 19.परिध, 20.शिव, 21.सिद्ध, 22.साध्य, 23.शुभ, 24.शुक्ल, 25.ब्रह्म, 26.इन्द्र और 27.वैधृति। इन सभी योगों के अलावा भी कुंडली में कई प्रकार के योग होते है उन्ही योगों में से एक होता है संघर्ष योग।
जातक की कुंडली में संघर्ष योग कई प्रकार के होते हैं।
1. जब लग्नेश त्रिक भाव में पाप ग्रह से पीड़ित हो या लग्न या चंद्र पाप कर्तरी प्रभाव में हो तो संघर्ष योग कहलाता है। संघर्ष योग से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में संघर्ष कर जीवन बिताना पड़ता है।
2. यदि धनेश पाप भाव 6, 8 या 12वें भाव में हो, धनेश यदि अपनी नीच राशि में हो, यदि धन भाव में कोई पाप योग जैसे गुरु चांडाल योग, ग्रहण योग आदि बना हो, यदि लाभेश भी पाप भाव 6, 8 या 12वें में हो, शुक्र यदि अपनी नीच राशि कन्या में हो, शुक्र का कुंडली के आठवें भाव में हो या जब शुक्र केतु के साथ हो तो आर्थिक पक्ष संघर्षमय बना रहता है।
3. उपरोक्त योग से बचने के लिए गुरु और शुक्र के उपाय करना चाहिए।
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