अनंत चतुर्दशी कब है? क्या आप जानते है इसका महत्व

अनंत चतुर्दशी कब है? क्या आप जानते है इसका महत्व
Anant Chaturdashi 2020

अनंत चतुर्दशी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आती है। डोल ग्यारस के बाद अनंत चतुर्दशी और उसके बाद पूर्णिमा। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का समापन होता है। इस दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस बार यह तिथि 1 सितंबर 2020 को है। अनंत चतुर्दशी के दिन खासकर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को इस दिन व्रत रखने और अनंत भगवान की पूजा करने का महत्व बताया था। 

अनंत चतुर्दशी का महत्व

पांडवों द्वारा जुए में अपना राजपाट हार जाने के बाद उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा था कि दोबारा राजपाट प्राप्त हो और इस कष्ट से छुटकारा मिले इसका उपाय बताएं तो श्रीकृष्‍ण ने उन्हें सपरिवार सहित अनंत चतुर्दशी का व्रत बताया था।

उन्होंने कहा था कि चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके ना तो आदि का पता है न अंत का इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं अत: इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।

यह सुननर युधिष्ठिर ने अपने परिवार सहित इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा अर्चना की थी, जिसके चलते उन्हें अपना राजपाट पुन: मिल गया था। 

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है। इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के बाद बाजू पर अनंत सूत्र बांधा जाता है। भगवान विष्णु के सेवक भगवान शेषनाग का नाम अनंत है। अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है।

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